यह काकड़ीघाट का वही पीपल वृक्ष है, जहां स्वामी विवेकानंद जी को 1890 में ज्ञान की…
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दिल्ली में नहीं, तेरे दिल में रहती हूं… रे पहाड़
ओ पहाड़! कैसा है रे!! तू सोचेगा वर्षों बाद याद कैसे आई। नहीं रे, भूली कहां…
प्रकृति के साथ संतुलन साधने का त्योहार है हरेला
हरेला सिर्फ एक त्योहार न होकर उत्तराखंड की जीवनशैली का प्रतिबिंब है। यह प्रकृति के साथ…
घंटी का पत्र हथौड़े के नाम- तुम्हारे बिना मेरा मायना ही खत्म हो जाता
प्रियतम हथ्थे, इस बार की गर्मियों की छुट्टियां…
पिथौरागढ़ में चल रहे ‘पुस्तक-शिक्षक आंदोलन’ के समर्थन में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ डिग्री कॉलेज में चल रहे पुस्तक-शिक्षक आंदोलन के समर्थन में रविवार को दिल्ली…
हिमयुग से भी पहले धरती पर आया चीड़, जीवों को बनते और नष्ट होते इसने देखा
चीड़ के वृक्षों ने धरती के इतिहास की सभी कहानी देखी। समुंद्री आदमी की प्रजाति होमो…