दिल्ली में नहीं, तेरे दिल में रहती हूं… रे पहाड़
ओ पहाड़! कैसा है रे!! तू सोचेगा वर्षों बाद याद कैसे आई। नहीं रे, भूली कहां हूं तुझे… हां चिट्ठी लिखने का ख्याल नहीं आया कभी। कल रात दिल्ली मौसी…
ओ पहाड़! कैसा है रे!! तू सोचेगा वर्षों बाद याद कैसे आई। नहीं रे, भूली कहां हूं तुझे… हां चिट्ठी लिखने का ख्याल नहीं आया कभी। कल रात दिल्ली मौसी…
अरविंद मालगुड़ी भारत की आज़ादी के बाद भारत बनने की कहानी पर कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं। इनमें से कुछ पुस्तकें पठनीय साबित हुई है जिनमें संदीप बामजई की…
यह काकड़ीघाट का वही पीपल वृक्ष है, जहां स्वामी विवेकानंद जी को 1890 में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। असल वृक्ष 2014 में ही सूख गया था और उसकी जगह…
यात्राएं बहुत कीं, पर लिखने की उमंग ने कभी ज़ोर नहीं मारा। पिछले वर्ष जब लिस्बन सम्मेलन के बहाने यूरोप के कुछ नगरों में जाने का अवसर मिला, तब भी…
नोएडा एक्सटेंशन के एस एस्पायर सोसायटी में रविवार को लघु पुस्तकालय का उद्घाटन हुआ। सोसायटी के वरिष्ठ जनों, युवाओं और महिलाओं की उपस्थिति में विधिवत सरस्वती पूजन के जरिए पुस्तकालय…